भोपाल। काल के कपाल पर अपने कौशल में नवाबी शासन की जड़े हिला देने वाले भारत माता के सपूत भाई उद्धवदास मेहता का उल्लेख किया गया भोपाल स्टेट का इतिहास अधूरा ही रहेगा। बचपन से ही समाजिक समरसता और सेवा क संस्कार आयुर्वेद चिकित्सा क्षेत्र शिक्षा पाकर निरंतर विकसित होते गए और सामाजिक शोषण तथा विषमताओं से स्ंाघर्ष के स्वर गूंज को कभी स्टेट के प्रथम हिंदी अखवाार प्रजा पुकार और कभी विलिनीकरण के योद्धा के रूप में हुंकार बनकर जन जन की भावना के अनुरूप भोपाल में गणेशोत्सव, डोल ग्यारस का जुलूस, होली और रंगपंचमी दशहरा का त्यौहार दीपावली तथा धनवंतरी पूजन को भाई जी ने ही अपने प्राणों को दाव पर लगाकर सार्वजनकि रूप से प्रतिष्ठित किया। पद पैसा और प्रतिष्ठा को ठोकर मारकर मान अपमान का विचार किए बिना समाज के साथ में आजीवन जुटे रहने वाले इस विस्मरणीय व्यक्तिव से 20 फरवरी 1086 को नश्वर देह त्याग दी इस महान महापुरूष को पुण्यतिथि पर भावभीनी श्रद्धांजलि" alt="" aria-hidden="true" />
भाई जी की 34 वीं पुण्यतिथ पर पुष्पांजली